रस्किन (१८१९-१९००) रस्किन के पिता शराब के व्यापारी थे और बहुत समृद्ध थे। उनका स्वास्थ्य अच्छा न था और वे अकेली संतान थे। उन्हें नित्य बाइबिल पढ़नी होती थी। इस अभ्यास के कारण बाइबिल के गद्य का संगीत इनके मन और आत्मा में बस गया। उसी संगीत ने रस्किन के गद्य को इतना मधुर और सरस बनाया है।

रस्किन के पिता उन्हें प्रत्येक जन्मदिन पर किसी महान् कलाकार का चित्र भेंट करते थे। इस प्रकार रस्किन ने बाल्यावस्था से ही चित्रकला से प्रेम करना सीखा। रस्किन पहले चित्रकला के आलोचक के रूप में अंग्रेज पाठकसमुदाय के सामने आए, बाद में समाजशिक्षक के रूप में।

रस्किन की शिक्षा आक्सफर्ड में हुई। उनकी सब से पहली पुस्तक है 'आधुनिक चित्रकार'; पर लेखक के नाम के स्थान पर 'ऑक्सफ़र्ड का स्नातक' लिखा है। आधुनिक चित्रकार (माडर्न पेंटर्स) एक ग्रंथ है, जो पाँच भागों में लिखा गया है और जिसे उन्होंने सत्रह वर्षों में पूरा किया। वास्तव में यह ग्रंथ प्रसिद्ध चित्रकार टर्नर के बचाव के लिए लिखा गया था। किंतु चित्रकला संबंधी समस्याओं पर एक व्यापक ग्रंथ बन गया। इसका पहला भाग सन् १८४३ में प्रकाशित हुआ और पाँचवाँ १८६० में।

रस्किन का अगला ग्रंथ 'स्थापत्य कला के सात दीप' १८४९ में प्रकाशित हुआ और 'वेनिस के पत्थर' १८५१-५३ में। रस्किन ने 'प्री रैफेलाइट' ग्रूप के चित्रकारों के बचाव में 'टाइम्स' को पत्र भेजे और पुस्तिकाएँ भी लिखीं।

रस्किन का रचनाकाल दो खंडों में बाँटा जाता है। पहले कालखंड में उन्होंने कला संबंधी पुस्तकें लिखीं और दूसरे में समाज संबंधी। रस्किन का विश्वास था कि स्वस्थ कला की स़ृष्टि कर सकता है। इस प्रकार स्वस्थ कला के स्रोत खोजते हुए रस्किन स्वभावत: स्वस्थ समाज के गुणों की विवेचना में लगे।

उन्होंने सन् १८६० में 'कौर्नहिल' नाम की पत्रिका में अर्थ संबंधी लेख लिखे और 'फ्रेजर्स' में १८६२-३ के बीच। रस्किन तत्कालीन समाज व्यवस्था पर निर्गम प्रहार कर रहे थे। इन लेखों में से कुछ (Unto This Last) संग्रह में सन् १८६२ में प्रकाशित हुए। इस विश्वविख्यात पुस्तक से महात्मा गांधी भी प्रभावित हुए थे।

रस्किन शिक्षा के राष्ट्रीय संगठन को महत्व देते थे। वे मजदूरों के हित में संस्थाएँ कायम करने के पक्ष में थे। और भी अनेक सामाजिक सुधार वे चाहते थे। उन्होंने सहकारी समितियाँ बनाईं जिनमें आदर्श जीवन बिताने की व्यवस्था थी। वे सड़कें बनाने और मजदूरों के लिए चाय की दूकानें चलाने के प्रयासों में भी लगे।

दूसरे काल की पुस्तकों में 'सिसेम ऐंड लिलीज' (Sesamme and Lilies) की रचना १८६५ में हुई और दि क्राउन ऑव वाइल्ड ओलिव (The Crown of Wild Olive) की १८६६ में। उनकी आत्मकथा १८८५-९ के बीच प्रकाशित हुई। रस्किन अंग्रेजी साहित्य के गद्यकार और विचारक थे।

सं. ग्रं. - १. फ्रैडरिक हैरिसन : रस्किन; बैंसन : रस्किन; ३. पीटर क्विनैल : रस्किन। (प्रकााश्चंद्र गुप्त)