रतूड़ी, चंद्रमोहन टिहरी नगर के निकट स्थित गोदी ग्राम के निवासी थे। उनकी अधिकांश कविताएँ तारादत्त गैरोला द्वारा संपादित 'गढ़वाली कवितावली' में संकलित हैं। वे उच्च कोटि के कवि थे। प्रकृति के प्रति अपार ममता उनके काव्य की अपनी विशेषता है। इस दृष्टि से उनकी 'देपण को वर्णन', 'विरह वसंत विलाप' कविताएँ उल्लेखनीय हैं। (गो.चा.)