रंट्येन, विलहेल्म कॉन्रैड (Roentgen, Willhelm Konrad) जर्मनी के प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक थे। आपका जन्म मार्च २७, सन् १८४५ में जर्मनी के लेनेप नगर में हुआ था। उच्च शिक्षा आपने स्विट्सरलैंड में ज़्यूरिख के पालिटेक्निक स्कूल में प्राप्त की और वहीं से भौतिकी में आपको सन् १८६९ में डॉक्ट्रेट की डिग्री भी मिली। सन् १८७५ में आप हाहनेम के कृषि ऐकैडमी में गणित और भौतिकी के प्रोफेसर नियुक्त हुए। सन् १८७९ में आपने गेसेन विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर नियुक्त हुए। सन् १८७९ में आपने गेसेन विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर का पद स्वीकार किया। इन्हीं दिनों आप फिज़िकल इन्स्टिट्यूट के डायरेक्टर भी बनाए गए। सन् १९०० में म्यूनिख में आप भौतिकी के प्रोफेसर नियुक्त हुए और अंत तक इसी पद पर कार्य करते रहे। आपकी मृत्यु १० फरवरी, सन् १९२३ को हुई।

अनुसंधान कार्य - प्रारंभ में अपने गैस की दोनों विशिष्ट ऊष्माओं की निष्पत्ति प्रयोग द्वारा निर्धारित की तथा द्रव के वर्त्तनांक पर दाव का प्रभाव मालूम करने के लिए अनेक प्रयोग किए। स्फटिक (quartz) के प्रकाशकीय तथा वैद्युत गुणों की भी अपने छानबीन की। प्रकाश के ध्रुवण तल (plane of polarisation) के चुंबकीय घुमाव पर भी आपने महत्वपूर्ण प्रयोग किए। आपकी सबसे अधिक महत्वपूर्ण देन है एक्स-किरणों की खोज। अत्यल्प दाव की गैस में विद्युद्विसर्जन के प्रयोगों के सिलसिले में ही अचानक रंट्येन ने अपनी तीक्ष्ण निरीक्षण क्षमता के बल पर एक्स-किरणों के अस्तित्व को पहचाना। इन किरणों की खोज आपने १८९५ ई. में की। एतदर्थ सन् १९०१ में आपको नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। (भगवतीप्रसाद श्रीवास्तव.)